इसमें ही संपूर्णता प्राप्त होती है
यह आत्मा अद्भुत तू अकेला ही काफी है रूप से संवर्धित है। जीवन का अनिश्चितता, उसे न तो डराती है। उसके अंदर ही एकमानसिकता है जो निष्ठा} से
यह आत्मा अद्भुत तू अकेला ही काफी है रूप से संवर्धित है। जीवन का अनिश्चितता, उसे न तो डराती है। उसके अंदर ही एकमानसिकता है जो निष्ठा} से