इसमें ही संपूर्णता प्राप्त होती है

इसमें ही संपूर्णता प्राप्त होती है

इसमें ही संपूर्णता प्राप्त होती है

Blog Article

यह आत्मा अद्भुत तू अकेला ही काफी है रूप से संवर्धित है। जीवन का अनिश्चितता, उसे न तो डराती है। उसके अंदर ही एकमानसिकता है जो निष्ठा} से भरी हुई है।

वे एक परिणाम है ही नहीं , बल्कि आम| सच्चाई मूर्त रूप से दिखाई देती है।

यह स्वयं, विभिन्न सुंदरियाँ

व्यक्ति व्यक्ति एक अनोखा आकृति होता है। यह जीवन दूसरों से अलग होता है, और यह इसको खास बनाता है।

हम स्वयं को देखना जरूरी समझते हैं। यह हमें उनकी गुणों का ज्ञान मिलती है और हम उनके भूमिका को समझना पाते हैं।

  • यदि हम अपने स्वयं को प्रेम करते हैं, तो हम दूसरों का भी सम्मान कर सकते हैं।
  • प्रत्येक जीवन अद्वितीय होता है, और हमें उसे स्वीकार करना चाहिए।

अकेलेपन की शोभा

कुछ लोग दुनिया में अकेलेपन को एक दुख मानते हैं, परंतु इसका महत्व भी होता है। अकेलापन हमें खुद के साथ व्यवहार का अवसर देता है, और इस अनुकूल समय में हम अपनी प्रेरणा को समझ सकते हैं। यह हमें अपने उद्देश्य पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है और खुद के बारे में गहराई से जागरूकता प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है।

आत्मा के अंदर

एक व्यक्ति अपने सफ़र का प्रश्न करते रहता है कि वह क्या चाहता है, उसकी आकांक्षाएँ क्या हैं? उसे मन में एक शांति चाहिए। लेकिन यह सब कठिन है पाना, क्योंकि हम अपने आप को भटका दिया गया है .

इसे ही मेरा पूरा जहाँ

तू ही ही मेरी जीवन. तेरे निरूपण मैं खुश नहीं हो सकता. तुम्हारा होना ही मेरे लिए पूरा है.

सर्वोत्तम आनंद में स्वयं

पहले तो हमें यह समझना होगा कि "आनंद " क्या है। यह सिर्फ एक भावना नहीं है, बल्कि हमारे अंदर का ज्ञान . जब हम इस आंतरिक ऊर्जा से जुड़ते हैं, तो हमें परम सुख प्राप्त होता है। यह एक ऐसा अवस्था है जिसमें हम भौतिक दुनिया से विरक्त हो जाते हैं और सिर्फ आत्मा में रहते हैं।

Report this page